उत्तर प्रदेश में हाथरस ज़िले के सिकन्द्राराऊ इलाक़े के पुलराई गाँव में आयोजित एक सत्संग में मची भगदड़ से अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है.
अब यह सवाल उठ रहा है कि सत्संग किसका था?
यह सत्संग नारायण साकार हरि नाम के कथावाचक का था, जिसके पोस्टर हाथरस की सड़कों पर लगाए गए थे.
इस कथावाचक को लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से भी जानते हैं.
इस मामले की एफ़आईआर रिपोर्ट में आयोजकों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज है.
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घटना के विवरण के तौर पर नारायण साकार के प्रवचन के कार्यक्रम का ज़िक्र है.
सत्संग वाले बाबा की असली कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है.
सूरजपाल जाटव नामक पूर्व पुलिस कॉन्स्टेबल ने नौकरी छोड़कर यह रास्ता अपनाया और देखते-देखते लाखों भक्त बना लिए.
आइए जानते हैं कि भोले बाबा नारायण साकार हरि उर्फ़ सूरजपाल जाटव कौन हैं?
नारायण साकार हरि एटा ज़िले से अलग हुए कासगंज ज़िले के पटियाली के बहादुरपुर गांव के निवासी हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के शुरुआती दिनों में वे स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहे और क़रीब 28 साल पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सज़ा मिली.
निलंबन के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. हालांकि इससे पहले सूरजपाल जाटव क़रीब 18 पुलिस थाना और स्थानीय अभिसूचना इकाई में अपनी सेवाएं दे चुके थे.
इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार बताते हैं कि छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहे और जेल से रिहाई के बाद ही सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आए.
पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए फिर उनकी नौकरी बहाल हो गई लेकिन 2002 में आगरा ज़िले से सूरजपाल ने वीआरएस ले लिया.
पुलिस सेवा से मुक्ति के बाद सूरजपाल जाटव अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुँचे, जहाँ कुछ दिन रुकने के बाद उन्होंने ईश्वर से संवाद होने का दावा किया और ख़ुद को भोले बाबा के तौर पर स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया.
कुछ सालों के अंदर ही उनके भक्त उन्हें कई नामों से बुलाने लगे और इनके बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए, जिनमें हज़ारों लोग शरीक होने लगे.
इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने बताया कि 75 साल के सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा तीन भाई हैं.
सबसे बड़े सूरजपाल है, दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनकी मौत हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं.
इस बात की पुष्टि हुई है कि अपने गाँव में अब बाबा का आना-जाना कम रहता है.
हालांकि बहादुरपुर गांव में उनका चैरिटेबल ट्रस्ट अब भी सक्रिय है.
अपने सत्संगों में नारायण साकार ने यह दावा कई दफ़ा किया है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि सरकारी सेवा से यहां तक खींचकर कौन लाया.
नारायण साकार के भक्तों में समाजवादी पार्टी के नेता अनवर सिंह जाटव भी शामिल हैं. अनवर सिंह जाटव बताते हैं कि बाबा अपने सत्संग में लोगों के बीच मानवता का संदेश देते हैं.
उन्होंने बताया, "वे लोगों को प्रेम से रहने का भरोसा देते हैं. साथ ही एकजुट रहने की भी अपील करते हैं.''
अनवर सिंह जाटव के मुताबिक़- नारायण सरकार अपने सत्संगों में मोबाइल के प्रचलन की आलोचना करते हैं.
जाटव के मुताबिक़- जहाँ-जहाँ प्रवचन होता है, वहाँ एक कमिटी का गठन किया जाता है और उस कमिटी के सभी लोगों को ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है.
सत्संग को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए कमिटी के सदस्य आपस में चंदा इकट्ठा करते हैं और कार्यक्रम आयोजित कराते हैं.
इटावा में मानव मंगल मिलन सेवा समिति के बैनर तले सत्संग का आयोजन हुआ था.
समिति अध्यक्ष राजकिशोर यादव बताते हैं, "जब कभी भी बाबा का कोई सत्संग कार्यक्रम होता है तो उनको इस बात की सूचना दे दी जाती है, जिसके आधार पर कमिटी के माध्यम से संपूर्ण व्यवस्था होती है.''